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अबुझमाड़ में मुठभेड, मारा गया टॉप माओवादी Basava Raju, मिले एनर्जी कैप्सूल, जानिये ग्राउंड रिपोर्ट का सच

By Abujhmarth Times

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छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगल में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 10 करोड़ के इनामी माओवादी बसवा राजू (Basava Raju) को ढेर किया। जानिए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट।

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के घने जंगलों में हुई एक ऐतिहासिक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने माओवादी संगठन के शीर्ष नेता बसव राजू को मार गिराया। यह वही बसवा राजू (Basava Raju) है, जिस पर सरकार ने 10 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था। एनकाउंटर के बाद जब टीमों ने इलाके की तलाशी ली, तो जो चीजें सामने आईं उन्होंने सभी को चौंका दिया है।

एनर्जी कैप्सूल और ब्रांडेड जूतों की मौजूदगी

बसवा राजू (Basava Raju) की जीवनशैली पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि वह आम माओवादी जैसा नहीं था। घटना स्थल पर मौके से एनर्जी सप्लीमेंट कैप्सूल और महंगे ब्रांडेड जूते बरामद किए गए। इससे यह साबित होता है कि वह अपने स्वास्थ्य और आराम को लेकर बेहद सजग था। इससे पहले कई माओवादी शीर्ष नेता मरे गए लेकिन ऐसे सामान नहीं पाए गए।

किलेकोट पहाड़ – बसवा राजू (Basava Raju) की शरणस्थली

मुठभेड़ गुंडेकोट गांव के समीप स्थित किलेकोट पहाड़ के घने जंगलों में हुई। यह जंगल इतना घना है कि सूर्य की रौशनी भी ठीक से नहीं पहुंच पाती है, ड्रोन कैमरा से तस्वीर कैद करना तो दूर की बात है. यह इलाका अबूझमाड़ क्षेत्र में आता है, जो कि माओवादियों की मजबूत पकड़ वाला क्षेत्र रहा है। इसी जंगल में सुरक्षित महसूस करते थे माओवादी। चारों ओर घने जंगल, ऊंचे पहाड़ और बांस-साल के पेड़ों की घने होने से इस क्षेत्र को ड्रोन्स से भी मॉनिटर करना मुश्किल बना देती है बिलकुल भी संभव नहीं है।

गांव पूरी तरह खाली, गोलियों की बौछार

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, मुठभेड़ इतनी तीव्र थी कि गुंडेकोट गांव के सभी 15 परिवार डर के मारे पास के बोटेर गांव में शरण लेने को मजबूर हो गए। ऐसे परिस्थिति में हर किसी के मन मेंखौप बन जायेगा। ग्रामीणों ने बताया कि गोलीबारी के दौरान गांव में रहना असंभव हो गया था। घटनास्थल पर अब भी पीतल के खाली खोखे, पेड़ों पर गोलियों के निशान और खून के धब्बे देखे जा सकते हैं।

फुल-स्केल ऑपरेशन की योजना

जानकारी के अनुसार, बसवा राजू (Basava Raju) की लोकेशन पर इससे पहले कभी कोई ऑपरेशन नहीं हुआ था। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों ने नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा तीनों जिलों की संयुक्त फोर्स के जरिए इस पहाड़ी को चारों ओर से घेर लिया। फोर्स का यह सुनियोजित अभियान माओवादियों के गढ़ पर बड़ी जीत के रूप में सफलता मिली। ऐतिहासिक क्षण के रूप में हासिल की गई है। अबूझमाड़ जैसे दुर्गम इलाके में यह बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, जिसमे एक कुख्यात नेता का अंत किया गया है।

बसव राजू का अंतिम ठिकाना और उसके साथियों की तलाश जारी

बसवा राजू (Basava Raju) उर्फ गगन्ना उर्फ केशव यह वही माओवादी था जो लंबे समय से सुरक्षाबलों की नजरों से बचता आ रहा था। मुठभेड़ के दौरान, उसके करीब 40 लड़ाके, उसके साथ मौजूद थे, जिनमें से लगभग 10-12 साथी भागने में सफल हो गए। सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी जारी रखी है और सघन तलाशी अभियान चल रहा है।

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