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Leopard Attacks Child-क्या दुधावा का तेंदुआ बन गया है मासूमों का दुश्मन? सरोना वन क्षेत्र में फिर हुआ मासूम पर हमला!

By Abujhmarth Times

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Leopard attacks a child in Dudhwa-दुधावा का जंगल और तेंदुआ तेदुंआ का बसेरा। ये नाम अब स्थानीय लोगों के लिए डर का कारण बनते जा रहा है। एक बार फिर सरोना वन परिक्षेत्र के दुधावा इलाके में एक मासूम बच्चा तेंदुए के हमले का शिकार हुआ। 17 मई 2025 को देर शाम जब अपनी मां के साथ 8 साल का यह बच्चा एक शादी कार्यक्रम में जा रहा था, तभी अचानक झाड़ियों से निकलकर तेंदुए ने उस बच्चे पर हमला कर घायल कर दिया। घटना की चपेट से बच्चा गंभीर रूप से घायल है और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से दुधावा के इस इलाके में तेंदुआ द्वारा बच्चों पर हमले के कई घटनायें देखने को मिली है। सवाल यह है कि ’’आखिर क्यों बार-बार मासूम बच्चे ही बन रहे हैं जंगली जानवरों के निशाने?’’

शाम की रौशनी में छिपा रहा तेंदुआ (Leopard Attacks Child)

घटना उस वक्त की है जब शाम ढल चुकी थी और अंधेरा हो गया था। बच्चे की मां बताती हैं, ’‘हम पास के ही गांव में शादी में शामिल होने जा रहे थे। अचानक पीछे से एक झटका लगा और बेटा चीखता हुआ जमीन पर गिर गया।’’ ग्रामीणों की मदद से घालय बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसके शरीर पर गहरे घाव बताए हैं। वन विभाग ने घटना स्थल का मुआयना किया है, लेकिन तेंदुए को अब तक नहीं ढूंढा जा सका है।

क्या दुधावा अब सुरक्षित नहीं, बच्चों पर बार-बार हमले

दुधावा का यह इलाका लंबे समय से मानव-वन्यजीवों से संघर्ष कर रहा है। इसके पहले भी तेंदुआ द्वारा बच्चों पर हमले के मामले सामने आये हैं। वर्ष 2022 में भी यहां एक 6 साल की बच्ची तेंदुए की चपेट में आई थी और 2020 में दो किशोरों को भी इसी तरह के तेंदुए के हमले का शिकार (Leopard attacks a child in Dudhwa) होना पड़ा था। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग ने खतरनाक जानवरों को पकड़ने या उन्हें नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।, जिसके कारण ग्रामीणों के लिये वन्य जीवों से हमेशा खतरा बना हुआ है।

क्यों बढ़ रहे हैं हमले? (Leopard Attacks Child)

विशेषज्ञों के अनुसार, जंगलों के कम होने और इंसानों का वन क्षेत्र में अतिक्रमण करना मुख्य वजह है। तेंदुए अक्सर गांव के पास पालतू जानवरों के शिकार में आते हैं, कभी-कभी इस दौरान इंसान से मिलाकात हो जाती है, जिसके इंसान शिकार कारण बन जाते है। तेंदुए शाम के समय शिकार के लिए निकलते हैं, और अंधेरे में बच्चे उन्हें आसान निशाना लगते हैं।

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क्या है समाधान?

वन अधिकारी कहना हैं कि वे गांवों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं और ‘‘रैपिड रिस्पॉन्स टीम’’ तैनात की गई है। लेकिन ग्रामीणों का सवाल है-’’क्या यही काफी है?’’ उनकी मांग है कि जंगल के आसपास बाड़ लगाई जाए और शाम के वक्त बच्चों को अकेले न निकलने दिया जाए।

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