नए साल में आपके अंतर्मन में बदलाव ला सके ऐसी माँ शारदा देवी के अमृतवाणी
"बेटा, जानते हो न ! ठाकुर का जगत् में प्रत्येक के प्रति मातृभाव था। जगत् में इसी मातृभाव के विकास के लिए मुझे इस बार रख गये हैं।"
"मैं सचभुच की माँ हूँ, गुरूपत्नी नहीं, बनायी हुई माँ नहीं, कहने की माँ नहीं - सचमुच की माँ हूँ।"
"हमलोगों का जो कुछ है सबके मूल में ठाकुर हैं वे ही आदर्श हैं। जो कुछ भी क्यों न करो, उन्हें पकड़े रहने पर कोई गड़बड़ी नही होगी।"
"मनुष्य तो भगवान को भूला ही हुआ है। इसलिए जब जब आवश्यकता होती है वे स्वयं एक एक बार आकर साधना करके रास्ता दिखा देते हैं। इसबार उन्होंने दिखाया - त्याग।"
"अपने मन की बात ठाकुर को बताकर प्रार्थना करना। प्राणों की व्यथा रो रो कर बताना देखोगे वे बिल्कुल गोद में उठा लेंगे।"
"ठाकुर को पुकारो, उनपर निर्भर रहो, सब हो जायेगा।"
"उनसे रो रो कर मन का दुख बताना, व्याकुल होकर रो रो कर कहना 'ठाकुर ! मुझे अपनी ओर खींच लो, मुझे शान्ति दो।' इस प्रकार करते करते तुम्हारे प्राणों में अपने आप ही शांति मिलेगी।"